माँ गायत्री सेवा संस्थान
अम्बेडकर नगर

Maa Gayatri Seva Sansthan

Ambedkar Nagar

सत्य सनातन मंदिर की नींव रखने से पहले, एक असाधारण और आध्यात्मिक यात्रा का आयोजन किया गया। पूज्य श्री श्री 1008 श्री मुनिजी फलाहारी महाराज जी के मार्गदर्शन में, सत्य सनातन शिवलिंग को भारत के बारह पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों के गर्भगृह से स्पर्श कराया गया। यह दिव्य यात्रा न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने के लिए थी, बल्कि सनातन संस्कृति और एकता के सूत्र को मजबूत करने का भी एक प्रयास था।

यात्रा का आरंभ और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का स्पर्श

यह पवित्र यात्रा 27 फरवरी, 2025 को आरंभ हुई, जब सत्य सनातन शिवलिंग को प्रथम ज्योतिर्लिंग पहले बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह से स्पर्श कराया गया। इसके बाद, यह दिव्य रथ भारत के विभिन्न प्रांतों में स्थित अन्य ग्यारह ज्योतिर्लिंगों की ओर अग्रसर हुआ, जहाँ प्रत्येक पवित्र ज्योतिर्लिंग की दिव्यऊर्जा को सत्य सनातन शिवलिंग में समाहित किया गया।

यात्रा का क्रम

  • 28 फरवरी, 2025: झारखण्ड के देवघर स्थित बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन एवं स्पर्श।
  • 01 मार्च, 2025: आंध्र प्रदेश के लिए प्रस्थान।
  • 03 मार्च, 2025: रात्रि में पंगूर जिला में स्थित श्री शैलम (मल्लिकार्जुन) पहुँचकर विश्राम।
  • 04 मार्च, 2025: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का दर्शन एवं स्पर्श करके रामेश्वरम, तमिलनाडु के लिए प्रस्थान।
  • 05 मार्च, 2025: रामेश्वरम पहुँचकर दर्शन और धनुषकुण्ड, सेतुबंध, विभीषण तिलक मंदिर और भारत-श्रीलंका के बॉर्डर पर समुद्र का दर्शन एवं स्पर्श।
  • 06 मार्च, 2025: समुद्र स्नान, 22 कुंडों में स्नान करके श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग एवं माता पार्वती का दर्शन एवं स्पर्श करके महाराष्ट्र में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के लिए प्रस्थान।
  • 07 मार्च, 2025: रात्रि 11 बजे पूना, महाराष्ट्र में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पहुँचकर रात्रि विश्राम।
  • 08 मार्च, 2025: सुबह 9 बजे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का दर्शन एवं स्पर्श।
  • 08 मार्च, 2025: सुबह 10 बजे घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए प्रस्थान और दोपहर 2 बजे दर्शन एवं स्पर्श के बाद नासिक के लिए प्रस्थान और रात्रि 10 बजे पहुँचकर रात्रि विश्राम।
  • 09 मार्च, 2025: सुबह 10 बजे त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन एवं स्पर्श। शाम 4 बजे गुजरात के सोमनाथ के लिए प्रस्थान।
  • 10 मार्च, 2025: शाम 6 बजे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग पहुँचकर प्रभु सोमनाथ मूल ज्योतिर्लिंग एवं नई का दर्शन व स्पर्श। रात्रि विश्राम सोमनाथ भगवान की गोद में। सुबह 6 बजे पुन: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का विधिवत दर्शन एवं स्पर्श (सुरक्षाधिकारी के साथ)।
  • 11 मार्च, 2025: सुबह 9 बजे सोमनाथ के दर्शन के बाद दारूक वन स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए प्रस्थान। दोपहर करीब 12 बजे दारूक वन पहुँचकर संत शिरोमणि नागा बाबा का दर्शन के बाद नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का विधिवत दर्शन एवं स्पर्श। इसके बाद द्वारिकापुरी के लिए 2 बजे प्रस्थान और वहाँ पहुँचकर हनुमान जी, बर्बरीक मंदिर, चौरासी कुंड तप साधना मंदिर व भेंट द्वारिका समुद्र आदि स्थानों का दर्शन करने के पश्चात् मध्य प्रदेश स्थित ओंकारेश्वर, ममलेश्वर और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए शाम 6 बजे प्रस्थान।
  • 12 मार्च, 2025: दोपहर 12 बजे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन एवं स्पर्श माँ नर्मदा और कावेरी के संगम में स्नान के बाद हुआ। इसके बाद स्टीमर द्वारा माँ नर्मदा के उस पार जाकर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन एवं स्पर्श करके उज्जैन के महाकालेश्वर के लिए शाम 6 बजे प्रस्थान और रात्रि 11 बजे पहुँचकर गेस्ट हाउस में विश्राम।
  • 13 मार्च, 2025: सुबह 8 बजे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन एवं स्पर्श किया गया। इसके बाद केदारनाथ के लिए उखीमठ के लिए प्रस्थान।
  • 14 मार्च, 2025: रात्रि 11 बजे उखीमठ पहुँचकर विश्राम किया गया, जहाँ भगवान केदारनाथ का विग्रह हैं। वहाँ पर हमारे गुरुदेव परम् पूज्य श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबाजी वाराणसी (संस्थापक एवं अध्यक्ष दत्तात्रेय अन्न धन सहायतार्थ चैरिटेबल ट्रस्ट) ने 2008 शिवरात्रि के दिन ऊखीमठ में अपना शरीर पूर्ण किया था।
  • 15 मार्च, 2025: केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन एवं स्पर्श कराया गया। वापसी हरिद्वार होते हुए रात्रि 11 बजे वाराणसी के लिए प्रस्थान।
  • 16 मार्च, 2025: वाराणसी में गुरु आश्रम दत्तात्रेय अन्न धन सहायतार्थ चैरिटेबल ट्रस्ट में विश्राम किया।
  • 17 मार्च, 2025: छोटी गैबी, वाराणसी में परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबाजी वाराणसी की चरण पादुका का पूजन करने के बाद श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन एवं स्पर्श के लिए दर्शन कतार में लगकर दोपहर 11 बजे श्री विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन एवं स्पर्श किया गया। इसके बाद शाम 3 बजे मुनि जी फलाहारी बाबा आश्रम गायत्री नगर, आरोपुर, अम्बेडकर नगर के लिए प्रस्थान किया गया।
  • 17 मार्च, 2025: यह दिव्य यात्रा वाया रोड अपने निज स्थान अम्बेडकर नगर पहुँची।

यात्रा का आध्यात्मिक महत्व

यह दिव्य यात्रा मात्र बारह ज्योतिर्लिंगों का भ्रमण नहीं थी, बल्कि यह सनातन धर्म की एकता और शक्ति का प्रतीक थी। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग की पवित्र ऊर्जा को सत्य सनातन शिवलिंग में समाहित करने का उद्देश्य इस मंदिर को एक अद्वितीय आध्यात्मिक शक्ति केंद्र बनाना है। पूज्य मुनि फलाहारी महाराज जी का यह प्रयास सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार और ‘सत्य सनातन मंदिर’ निर्माण के लिए जनजागरण का एक महत्वपूर्ण भाग था।

भव्य स्वागत एवं स्थापना की तैयारी

द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दिव्य स्पर्श के साथ, सत्य सनातन शिवलिंग का 16 मार्च, 2025 को अम्बेडकर नगर आगमन एक ऐतिहासिक क्षण था। इस पवित्र यात्रा के समापन पर भव्य स्वागत की तैयारियाँ की गईं, जो क्षेत्र में धर्म और आध्यात्म के अभूतपूर्व संगम का प्रतीक था। इसके बाद, 23 अप्रैल, 2025 से 30 अप्रैल, 2025 तक आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण एवं महायज्ञ सप्ताह, द्वादश ज्योतिर्लिंग स्थापना प्रतिष्ठा महोत्सव के साथ मंदिर निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई।

द्वादश ज्योतिर्लिंगों की यह दिव्य स्पर्श यात्रा सत्य सनातन मंदिर की स्थापना की आधारशिला बनी। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत थी, बल्कि यह सनातन धर्म के अनुयायियों को एकता और श्रद्धा के सूत्र में बाँधने का भी एक महत्वपूर्ण प्रयास था। इस पवित्र यात्रा की ऊर्जा सदैव सत्य सनातन मंदिर में प्रवाहित होती रहेगी।